यह कहानी है अर्णव और रिया की प्रेम कहानी ।
सुबह के 11:00 बजे थे अर्णव ने जल्दी-जल्दी भागकर अपनी ट्रेन पकड़ी फिर अचानक से उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी जो साइड विंडो पर बैठी थी उसने अपने चेहरे को दुपट्टे से कवर कर रखा था अर्णव की नजर उस लड़की की आंखों पर ही टिकी हुई थी जाने वह खो सा गया था उसकी आंखों में आसपास का कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था फिर उस लड़की ने जब चेहरा घुमाया तो देखा की उसे एक लड़का घूरे जा रहा है साइड में उसकी एक दोस्त बैठी थी उसने अपनी दोस्त को बोला कि यह मुझे घूरे जा रहा है अचानक से फिर ट्रेन स्टार्ट हो गई और खड़े अरनव को पीछे से किसी का धक्का लग गया और वह बोला भाई आगे से हटो फिर अर्णव ने सोचा यह मुझे क्या हो गया था मैं कहां खो गया था और फिर वह उसकी पीछे वाली सीट पर बैठ गया और धीरे-धीरे उसकी ओर देखने लगा और आगे बैठी लड़की अपनी दोस्त से फिर खुसर पुसर करने लगे यह मुझे क्यों देखें जा रहा है दोस्त ने बोला अरे यार छोड़ो ना थोड़ी देर की ही तो बात है।
फिर स्टेशन आ गया और दोनों उसी स्टेशन पर उतर गए। अर्णव सिर्फ उस लड़की की आंखों को ही याद कर रहा था और मन में सोच रहा था कि वह लड़की कहां रहती होगी मुझे दोबारा मिलेगी भी या नहीं ।और मंद मंद मुस्काए जा रहा था। फिर अचानक उसका दोस्त स्टेशन पर आया और उसे अपने साथ हॉस्टल ले गया ।
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