एक बार देवताओं में चर्चा हो रही थी चर्चा का विषय था मनुष्य की हर मनोकामना को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियां कहां छुपाई जाए। सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद विवाद हुआ। एक देवता ने अपना मत रखा और कहा कि इसे हम एक जंगल की गुफा में रख देते हैं। दूसरे देवता ने उसे ठोकते हुए कहा नहीं नहीं हम इसे पर्वत की चोटी पर छिपा देंगे। उस देवता की बात ठीक पूरी भी नहीं हुई थी कि कोई कहने लगा। न तो हम इसे कहीं गुफा मे छिप आएंगे और ना ही इसे पर्वत की चोटी पर। हम इसे समुद्र की गहराई में छुपा देते हैं। यही स्थान इसके लिए उपयुक्त होगा। सबकी राय खत्म हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा क्यों ना हम इसे मानव की चमत्कारी शक्तियों को मानव की मन की गहराई में छिपा दें। क्योंकि बचपन से ही उसका मन इधर-उधर दौड़ता रहता है मनुष्य कभी कल्पना भी नहीं कर सकेगा की ऐसी अद्भुत और इतनी विशाल शक्तियां उसके भीतर छुपी हो सकती है। और इन्हें ब्रह्म जगत खोजता रहेगा अतः इन बहुमूल्य शक्तियां को हम उसके मन की निकली है में छिपा देंगे । बाकी सभी देवता भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए और ऐसा ही किया गया इसलिए कहा जाता है मानव मनन में अद्भुत शक्तियां निहित है अर्थात मानव शरीर में ही बहुत सारी अद्भुत शक्तियां निवेश करती हैं।
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